कनीज़

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सिविल लाइंस की सबसे कुशादा और सबसे ख़ूबसूरत सड़क पर मील डेढ़…

ओवरकोट

ओवरकोट

जनवरी की एक शाम को एक ख़ुश-पोश नौजवान डेविस रोड से गुज़र…

झूठी कहानी

झूठी कहानी

अस्र का वक़्त है या शायद उस के कुछ बाद का। मग़रिब…

हुसैन आबिद की नज़्में

हुसैन आबिद की नज़्में

अवाइल–ए–बहार का इज़्तिराब   बारिश से भीगे रस्ते परजहाँ चेरी के शगूफ़ेपत्ती-पत्ती…

कच्चा

कच्चा

उस की पैदाइश वक़्त से पहले हुई। दाई ने ला कर बाप…

अहमद आज़ाद की नज़्में

अहमद आज़ाद की नज़्में

किताब-उन-नफ़्स में लिखी गई नज़्म   चकरा कर गिरता है आदमी आईने…

मिशन डम डम

मिशन डम डम

आलू और कद्दू सवेरे-सवेरे आ गए। मैं छत पर सो रहा था।…

मुस्तफ़ा अरबाब की नज़्में

मुस्तफ़ा अरबाब की नज़्में

रौशनी वोमुझ पर अयाँ हैरौशनी की धार की मानिंदउस नेअपनी धार सेमुझेटुकड़े-टुकड़े…

सुक़रात से सरमद तक

सुक़रात से सरमद तक

कौन बावर करेगा कि इस दौर में भी इल्म-ओ-अक़्ल और फ़िक्र-ओ-नज़र की…

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कनीज़

सिविल लाइंस की सबसे कुशादा और सबसे ख़ूबसूरत सड़क पर मील डेढ़ मील की मुसाफ़त से थकी हुई कनीज़ और उनकी दादी सटर-पटर जूतियाँ घिसटती

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ओवरकोट

जनवरी की एक शाम को एक ख़ुश-पोश नौजवान डेविस रोड से गुज़र कर माल रोड पर पहुँचा और चेरिंग क्रास का रुख़ कर के ख़िरामाँ-ख़िरामाँ

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झूठी कहानी

अस्र का वक़्त है या शायद उस के कुछ बाद का। मग़रिब तक मुझे घर पहुँच जाना चाहिये। “पहुँच जाउंगी” इर्द-गिर्द देखते हुए मैं एतिमाद

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