भरे बाज़ार में
कोई चीज़ रख्खी के पेट पर फड़ से गिरी। रख्खी कुनमुनाई और…
कोई चीज़ रख्खी के पेट पर फड़ से गिरी। रख्खी कुनमुनाई और आँखें खोलने की कोशिश करने लगी। फिर एक ज़्यादा वज़नी चीज़ आकर छाती
एक क्वार्टर के बग़ल में एक बहुत ही ऊँचा, मज़बूत, घना और सुंदर पेड़ था। शहर के मशहूर बाग़ को बड़े बेढंगे तरीक़े से काट-काटकर
सिविल लाइंस की सबसे कुशादा और सबसे ख़ूबसूरत सड़क पर मील डेढ़ मील की मुसाफ़त से थकी हुई कनीज़ और उनकी दादी सटर-पटर जूतियाँ घिसटती