हुसैन आबिद की नज़्में
अवाइल–ए–बहार का इज़्तिराब बारिश से भीगे रस्ते परजहाँ चेरी के शगूफ़ेपत्ती-पत्ती…
अवाइल–ए–बहार का इज़्तिराब बारिश से भीगे रस्ते परजहाँ चेरी के शगूफ़ेपत्ती-पत्ती…
किताब-उन-नफ़्स में लिखी गई नज़्म चकरा कर गिरता है आदमी आईने…
रौशनी वोमुझ पर अयाँ हैरौशनी की धार की मानिंदउस नेअपनी धार सेमुझेटुकड़े-टुकड़े…
एक सेकंड में बुझ सकते है तेरह जुगनू जल सकते हैं…
हम शहर की ख़ुफ़िया जेब में गिर जाते हैं इन शहरों…